Sheetal Devi

नई दिल्ली, 6 नवंबर 2025 — कभी-कभी कोई कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं होती, बल्कि पूरे समाज के नजरिए को बदल देती है। जम्मू-कश्मीर की Sheetal Devi ऐसी ही एक प्रेरणा हैं — जिन्होंने सीमाओं को चुनौती देते हुए भारत की पहली पैराअर्चर के रूप में एबल-बॉडी जूनियर टीम में जगह बना ली है।

18 वर्षीय Sheetal अब Asia Cup Stage-3 में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी, जो सऊदी अरब के जेद्दा में आयोजित होने वाला है। उनकी यह उपलब्धि भारतीय खेल इतिहास में एक नया और प्रेरणादायक अध्याय जोड़ती है।

Sheetal Devi का जन्म जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में हुआ था। उनके दोनों हाथ नहीं हैं — लेकिन यह कमी कभी उनकी रुकावट नहीं बनी। उन्होंने पैरों से धनुष खींचने और तीर चलाने की कला सीखी, और यही उनकी सबसे बड़ी ताकत बन गई।

साल 2021 में उन्होंने पहली बार तीरंदाजी उठाई थी। महज़ कुछ वर्षों में Sheetal ने वह मुकाम हासिल कर लिया, जिसकी कल्पना भी बहुतों ने नहीं की थी।
2024 Paris Paralympics में कांस्य पदक जीतने के बाद अब वह मुख्यधारा की एबल-बॉडी प्रतियोगिताओं में कदम रख चुकी हैं — जहाँ वह पूरी दुनिया को यह दिखा रही हैं कि “सीमाएँ सिर्फ सोच में होती हैं।”

एबल-बॉडी टीम में चयन — एक नई शुरुआत

Sheetal Devi
Sheetal Devi

दिल्ली में आयोजित जूनियर एबल-बॉडी ट्रायल्स में Sheetal Devi ने लगभग 60 प्रतिभागियों के बीच अपने सटीक निशानों से सबको प्रभावित कर दिया।
उनकी कंसिस्टेंसी, एकाग्रता और आत्मविश्वास ने चयनकर्ताओं को ऐसा भरोसा दिलाया कि आखिरकार उनका नाम भारतीय एबल-बॉडी जूनियर आर्चरी टीम में शामिल कर लिया गया।

यह क्षण भारतीय खेल इतिहास में मील का पत्थर है — क्योंकि पहली बार किसी पैराअथलीट को एबल-बॉडी तीरंदाजी टीम में जगह मिली है।
खेल विशेषज्ञों का मानना है कि यह चयन “प्रतिभा बनाम श्रेणी” की बहस को खत्म करने वाला है — यहाँ अब केवल योग्यता ही पहचान है।

Sheetal ने क्या कहा?

चयन के बाद Sheetal Devi ने अपनी खुशी साझा करते हुए कहा —

“मेरे लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एबल-बॉडी टीम का हिस्सा बनूंगी। लेकिन मेहनत, विश्वास और मेरे कोच के मार्गदर्शन ने यह संभव किया।”

उनके कोच ने भी इस उपलब्धि को केवल एक व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि पूरे भारतीय पैरास्पोर्ट्स समुदाय की ऐतिहासिक उपलब्धि बताया।
उन्होंने कहा कि अब Sheetal एक साथ पैरालिंपिक और एबल-बॉडी दोनों स्तरों की प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी कर रही हैं — और यह सफर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।

इतिहास रचने वाली Sheetal Devi: पैराअर्चर से एबल-बॉडी टीम तक का अद्भुत सफर

क्यों यह उपलब्धि ऐतिहासिक है

भारत के खेल इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब किसी पैराअर्चर का चयन एबल-बॉडी अंतरराष्ट्रीय टीम में किया गया है।
यह उपलब्धि न सिर्फ व्यक्तिगत जीत है, बल्कि यह उस सोच को भी चुनौती देती है जो शारीरिक सीमाओं को सफलता की बाधा मानती है।

Sheetal Devi ने साबित कर दिया है कि प्रतिभा, समर्पण और निरंतरता किसी भी भेदभाव की दीवार को गिरा सकते हैं।
आज पैरास्पोर्ट्स और एबल-बॉडी खेलों के बीच की रेखा पहले से कहीं ज़्यादा धुंधली हो रही है — और यह बदलाव खेलों की नई परिभाषा लिख रहा है।

 निष्कर्ष

Sheetal Devi का नाम अब सिर्फ एक खिलाड़ी का नहीं, बल्कि एक आंदोलन का प्रतीक बन गया है —
एक ऐसा आंदोलन, जो यह कहता है कि अगर इच्छा मजबूत हो, तो कोई बाधा असंभव नहीं रहती।

उनकी कहानी आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाएगी कि सीमाएँ शरीर में नहीं, मन में होती हैं।

“जिस दिन आप अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बना लेते हैं,
उसी दिन इतिहास लिखना शुरू हो जाता है।” 

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By Divyay

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